CM योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी मुद्दे को लेकर एक न्यूज एजेंसी के इंटरव्यू में जो कहा। वो चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने पाकिस्तान की दुर्दशा का जिक्र करते हुए इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। सीएम योगी ने कहा कि ज्ञानवापी को मस्जिद न कहा जाए। वरना विवाद होगा। वहां की दीवारे चीख-चीखकर सबकुछ बता रही हैं। ऐसे में मुस्लिम समुदाय को खुद ही पहल करते हुए इसे ऐतिहासिक गलती मान लेना चाहिए। उन्होंने इस बयान के अलावा बुलडोजर बाबा की छवि को लेकर भी प्रतिक्रिया दी।
यूपी में अपराधियों और माफिया के खिलाफ बुलडोजर एक्शन के सवाल पर योगी ने कहा, ”कोई निर्दोष मुस्लिम आकर कह दे कि मेरा घर गिरा है। कोई नहीं कहेगा। माफिया के घर पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त करना सरकार का ही काम है। अगर किसी ने सरकारी संपत्ति पर कब्जा किया है, तो उसके लिए क्या करूं, आरती लेके जाऊं, थाली सजाऊं उनकी। BJP को जनादेश जो मिला वह इसी के लिए मिला।”
बुलडोजर बाबा वाली छवि पर योगी ने कहा, ”इतने बडे प्रदेश में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास नहीं होना चाहिए क्या। अब आज के समय में कुदाल से तो नहीं होगा, उसके लिए बुलडोजर चलाने होंगे।”
विधानसभा में माफिया को मिट्टी में मिला देंगे, पर योगी ने कहा, “कानून का राज हर हाल में होना चाहिए, कुछ गुंडे सरेआम एक अधिकवक्ता की हत्या कर दें यह नहीं होना चाहिए। जो लोग माफिया को सरंक्षण देते थे हमने उन्हें विधानसभा में यह संदेश दिया था। इसमें कुछ गलत नहीं है।”
मत, मजहब नहीं, राष्ट्र सर्वोपरि : ज्ञानवापी विवाद के समाधान से जुड़े सवाल पर सीएम योगी ने कहा, “अगर ज्ञानवापी को मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा। भगवान ने जिसको दृष्टि दी है, वो देखे न। त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है? हमने तो नहीं रखे हैं न। ज्योर्तिलिंग हैं… देव प्रतिमाएं हैं। पूरी दीवारें चिल्ला-चिल्लाकर क्या कह रही हैं।
मुस्लिम समाज को ऐतिहासिक गलती दुरुस्त करनी चाहिए। मुझे लगता है कि ये प्रस्ताव मुस्लिम समाज की तरफ से आना चाहिए कि साहब…ऐतिहासिक गलती हुई है। उस गलती के लिए हम चाहते हैं कि समाधान हो।”
मैं पाखंड नहीं मानता : उन्होंने कहा, “मैं ईश्वर का भक्त हूं। लेकिन किसी पाखंड में विश्वास नहीं करता। आपका मत, आपका मजहब, अपने तरीके से होगा, अपने घर में होगा। अपनी मस्जिद, अपने इबादतगाह तक होगा। सड़क पर प्रदर्शन करने के लिए नहीं। इसको आप किसी भी अन्य तरीके से दूसरे पर थोप नहीं सकते। नेशन फर्स्ट (देश पहले है)। अगर देश में किसी को रहना है तो राष्ट्र को सर्वोपरि मानना है। अपने मत और मजहब को नहीं।