नई दिल्ली – World Rabies Day 2023 : जैसा कि हमने सुना हैं कि कुत्ते इंसानों से ज्यादा वफादार होते है लेकिन इस समय इन आवारा कुत्तों का खौफ देखने को मिल रहा है। देश में इन दिनों कुत्तों का खौफ खूब देखने को मिल रहा है। अब इस बीच आज यानी 28 सितंबर को पूरे देश में वर्ल्ड रेबीज डे मनाया जा रहा है। आज कल आपको कुत्ते के काटने की घटना काफी सुनने को मिल रही होगी।
रेबीज एक वायरल घातक बीमारी है। यह बीमारी आमतौर पर कुत्ते या अन्य जंगली जानवरों के काटने से फैलती है। इस जानलेवा बीमारी के बारे में लोगों को अवेयर करने के उद्देश्य से हर साल 28 सितंबर को वर्ल्ड रेबीज डे मनाया जाता है। इस जानलेवा बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। इस साल 17 वां वर्ल्ड रेबीज डे मनाया जाएगा।
वर्ल्ड रेबीज डे का इतिहास
पहली बार वर्ल्ड रेबीज डे मनाने की घोषणा 2007 में ग्लोबल अलायंस फॉर रेबीज कंट्रोल द्वारा की गई थी और बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा इसका समर्थन किया गया। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है, रेबीज से होने वाले खतरे और रोकथाम को लेकर जागरूकता बढ़ाना है।
फ्रेंच केमिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट लुई पाश्चर की मृत्यु 28 सितंबर को हुई थी, जिन्होंने सन् 1885 में पहली बार रेबीज की वैक्सीन को विकसित किया था। यही कारण है कि हर साल यह दिन विश्व रेबीज दिवस के रूप में मनाया जाता है।
वर्ल्ड रेबीज डे की थीम
हर साल वर्ल्ड रेबीज डे एक अलग थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल रेबीज डे की थीम है, ‘All for 1, One Health for all’, रेबीज की रोकथाम के लिए हर साल यह दिन अलग थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है।
वर्ल्ड रेबीज डे का महत्व
वर्ल्ड रेबीज डे मनाने का उद्देश्य है, इस जानलेवा बीमारी को रोकना। रेबीज सबसे अधिक जंगली जानवरों में पाया जाता है और अभी भी संयुक्त राज्य अमेरिका में यह बीमारी आम है। हालांकि, कई अन्य देशों में कुत्ते के काटने से रेबीज़ होता है। हालांकि रोकथाम कर के रेबीज़ को कंट्रोल किया जा सकता है, फिर भी हर साल रेबीज के कारण लगभग 60,000 लोगों की मौत होती है।