नई दिल्ली – Women Reservation Bill : लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आज बुधवार 20 सितंबर को सोनिया गांधी का नाम लिए बिना उन पर कटाक्ष किया है। स्मृति ईरानी ने महिला आरक्षण बिल का श्रेय लेने वाले सभी लोगों की आलोचना की। महिला आरक्षण बिल पर बहस करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि जब महिला आरक्षण बिल आया तो कुछ लोगों ने कहा कि यह ‘हमारा बिल’ है। उन्होंने इसके लिए पत्र लिखा है। उन लोगों ने संपूर्ण संवैधानिक ढांचा निर्धारित किया है।
स्मृति इरानी ने सोनिया गांधी पर कसा तंज
केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने सोनिया गांधी पर तंज कसाते हुए कहा है कि जब ये बिल सदन में लाया गया तो कुछ लोगों ने कहा कि ये बिल हमारा है. हमने चिट्ठी लिखी। जबकि कुछ लोगों ने कहा कि पूरा संविधानिक निर्माण हमारा है। स्मृति इरानी ने सोनिया गांधी का नाम लिए बिना कहा कि आज मैं उस नेता का आभार व्यक्त करती हूं। जिन्होंने पहली बार ऑन रिकॉर्ड माना कि संविधान का 73वां एवं 74वां संशोधन पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने किया था। इससे पहली बार स्पष्ट हुआ कि ये पुण्य काम पीवी नरसिम्हा जी ने किया।
15 वर्षों तक महिलाओं को मिलेगा आरक्षण
स्मृति इरानी ने कहा कि इस बिल में मोदी सरकार ने यह प्रस्ताव रखा है कि इस बिल को लागू होने के बाद 15 वर्षों तक महिलाओं को आरक्षण मिलेगा। लेकिन अगर आप कांग्रेस का प्रस्ताव पढ़ेंगे तो पता चलेगा उनका प्रस्ताव यह था कि 2 बी एवं 3 बी में कि महिलाओं के लिए तीसरे आम चुनाव के दौरान कोई सीट आरक्षित नहीं होगी। इसका मतलब कांग्रेस का प्रस्ताव था कि महिलाओं को सर्फ 10 वर्षों तक ही आरक्षण मिलेगा।
सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल का किया समर्थन
इससे पहले इस बिल पर चर्चा के दौरान, सोनिया गांधी ने लोकसभा में कहा कि यह विधेयक सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पेश किया गया था। सोनिया गांधी ने कहा कि राजीव गांधी का सपना अभी भी आधा अधूरा है, जो इस विधेयक के पारित होने से पूरा हो जाएगा।
सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करते हुए कहा, मैं नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 के समर्थन में खड़ी हूं। उन्होंने पूछा कि महिलाओं से कहा जा रहा है कि इस विधेयक के कानून बनने के लिए उन्हें और इंतजार करना होगा। हमारी मांग है कि इस बिल को तुरंत कानून बनाया जाए।
सोनिया गांधी ने सरकार से की ये मांग
इसके अलावा सोनिया गांधी ने अन्य पिछड़ा वर्ग/अनुसूचित जाति (ओबीसी/एससी) समुदायों की महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना आयोजित करने की भी मांग की।