नई दिल्ली – आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में पंजीकृत लाभार्थियों की संख्या कितनी है। इसे लेकर हाल ही में कैट ने क्या रिपोर्ट पेश की है। यह सवाल सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के महत्वपूर्ण हो सकता है। ऐसे सवाल अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। गवर्नमेंट जॉब की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को इसकी जानकारी जरूर होनी चाहिए। आइए इससे संबंधित सवालों के जवाब जानते हैं।
इस योजना में मृत मरीजों के इलाज का मामला सामने आया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में इसमें हुई अनियमितताएं सामने आई है। इस योजना में मृत मरीजों के भी इलाज करने का खुलासा हुआ है। देश के कई राज्यों में इस तरह के मामले सामने आए हैं। झारखंड, हरियाणा, छतीसगढ़ में ज्यादा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह, असम और चंडीगढ़ में ऐसे मामले अपेक्षाकृत कम सामने आए हैं।
रिपोर्ट में उल्लेख है कि 88760 मृत रोगियों के 2.14 लाख से अधिक इलाज के दावों का भुगतान किया जाना पाया गया है। पंजीकृत घरों में 11 से 201 सदस्यों तक के परिवार मिले, जो इस घपले की ओर इशारा करते हैं। इस योजना में ऐसे पेंशन भोगी पाए गए हैं, जिनके पास पीएमजेएवाई कार्ड मिले और वे योजना का लाभ उठाते हुए पाए गए। लाभार्थियों के चयन और सामने आने के बाद उसे हटाने में देरी हुई है, जिसकी वजह से अपात्रों को इस योजना का लाभ मिला। ऐसे लाभार्थी भी मिले हैं, जिन्हें एक ही मोबाइल नंबर से पंजीकृत किया गया है। कुछ आधार में भी गड़बड़ी पाई गई हैं। जिससे यह साबित होता है कि सत्यापन की प्रक्रिया में किसी न किसी स्तर पर लापरवाही हुई है।
अनियमितता में 9 राज्यों के 100 अस्पताल शामिल
रिपोर्ट कहती है कि इस घोटाले में निजी अस्पतालों की मिलीभगत, सिस्टम में खामियां और ढांचागत कमजोरी आदि शामिल हैं। सत्यापन में गड़बड़ी, जन्मतिथि में फर्जीवाड़ा, गलत नाम भी सामने आए हैं। कई ऐसे अस्पताल सूचीबद्ध हैं, जिनके पास इलाज की समुचित व्यवस्था ही नहीं है. नौ राज्यों में गड़बड़ी करने वाले सौ ऐसे अस्पताल मिले हैं, जिन पर 12.32 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है, लेकिन वह जमा नहीं हुआ। हेल्थ मिनिस्ट्री ने कैग को स्पष्ट किया है कि लाभार्थियों के सत्यापन में मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। योजना ई-केवाईसी के माध्यम से लाभार्थियों को पहचानती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने लाभार्थियों के सत्यापन को फिंगर प्रिन्ट, आइरिस स्कैन, फेस सत्यापन और ओटीपी जैसे विकल्प दिए हैं।
क्या है आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना?
केंद्र सरकार की ओर चलाई जाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा परियोजना है। इसे फरवरी 2018 में लांच किया गया था। इसमें लाभार्थी को पांच लाख रुपये तक का हेल्थ बीमा कवर मिलता है। लाभार्थी को इस योजना के तहत सर्जरी, दवा तक का लाभ मिलता है। इसकी पात्रता नवीनतम सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना के आधार पर लाभार्थी पा सकता है। योजना में राज्य एवं केंद्र की वित्तीय साझेदारी है।
सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र एवं राज्य के बीच 60 और 40 फीसदी के हिसाब से योगदान दे रहे हैं। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मामले में केंद्र का योगदान 90 फीसदी है। ऐसे केंद्रशासित प्रदेश, जहां विधायिका नहीं है। वहां केंद्र सौ फीसदी आर्थिक बोझ उठा रहा है। परियोजना में अभी तक 7.87 करोड़ लाभार्थी पंजीकृत किए गए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण इसकी नोडल एजेंसी है। राज्य सरकारों के साथ जॉइन्ट रूप से इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन को इसे स्वायत्त इकाई के रूप में गठित किया गया है।