सावन का दूसरा सोमवार 17 जुलाई 2023 को है। मान्यता है कि सावन के सोमवार पर भगवान शिव की उपासना करने से साधकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की उपासना बेलपत्र, दूध, गंगाजल इत्यादि के साथ करने से साधक को बल एवं बुद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही कई प्रकार के रोग एवं दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि सावन के महीने में भगवान शिव के अंश कहे गए रुद्राक्ष को धारण करने से साधकों को विशेष लाभ प्राप्त हो सकता है। चलिए जानते हैं, क्या है रुद्राक्ष का महत्व और इसके नियम…
सबसे पहले रुद्राक्ष के महत्व के बारे में…
भगवान शिव के आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई है। रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है, वहीं स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। बता दें कि रुद्राक्ष पहनने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। हृदयरोग इत्यादि जैसे गंभीर बीमारियां दूर रहती हैं। इसके साथ ही ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए भी रुद्राक्ष को बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। इसे धारण करने के लिए शास्त्रों में कुछ विशेष नियमों को बताया गया है।
अब जानते हैं, रुद्राक्ष धारण करने के नियम…
- शास्त्रों के अनुसार, रुद्राक्ष को कभी भी काले धागे में धारण नहीं करना चाहिए।
- इसे लाल अथवा पीले रंग के धागे में धारण करना फायदेमंद साबित होता है।
- रुद्राक्ष को बहुत ही पवित्र माना गया है इसलिए इसका स्पर्श कभी भी अशुद्ध हाथों से नहीं करना चाहिए।
- स्नान के बाद रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
- स्वयं के द्वारा पहने गए रुद्राक्ष को किसी और को नहीं देना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
- शास्त्रों के अनुसार, जो लोग रुद्राक्ष को धारण करते हैं उन्हें मांस मदिरा या अन्य किसी भी प्रकार के नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।