जौनपुर – Dhananjay Singh : एमपी-एमएलए कोर्ट ने धनंजय सिंह को सात साल जेल की सजा और 50 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने अपहरण-रंगदारी के मामले में पूर्व सांसद दोषी करार दिया था। उन्हें अपर सत्र न्यायाधीश शरद कुमार त्रिपाठी ने दोषी करार दिया था। उनपर नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल को धमकाने का आरोप है। धनंजय के ऊपर अपहरण और रंगदारी के मामले में एमपी एमएलए कोर्ट में मुकदमा चल रहा था। कोर्ट के आदेश पर धनंजय को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया।
चुनाव लड़ने की तैयारी में थे धनंजय
धनंजय सिंह जौनपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अब इसकी संभावना अब खत्म हो गई है। भाजपा ने यहां से मुंबई में उत्तर भारतीयों के नेता के रूप में पहचान रखने वाले कृपाशंकर सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है।
क्या था पूरा मामला?
आपको बता दे कि मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई, 2020 को लाइन थाने में धनंजय सिंह और उनके साथी विक्रम के खिलाफ अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उसने तहरीर में बताया था कि, रविवार की शाम को पूर्व सांसद धनंजय सिंह अपने कुछ साथी विक्रम और अन्य दो के साथ पचहटिया साइड पर आए थे। वहां, फॉर्च्यूनर गाड़ी में वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद उसे कालीकुत्ती ले गए। वहां धनंजय सिंह ने पिस्टल निकालकर गालियां देते हुए फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति के लिए दबाव बनाने लगे। वादी के इनकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी की मांग की। किसी तरह वहां से निकलकर वादी लाइन बाजार थाने पहुंचा और आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग किया। इसी मामले में मंगलवार को पुलिस ने धनंजय सिंह को उनके आवास से गिरफ्तार किया था।
कौन है धनंजय सिंह
गौरतलब है कि माफिया धनंजय सिंह मात्र 27 साल की उम्र में साल 2002 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़े और जीते। जिसके बाद 2007 में जदयू के टिकट पर विधायक चुने गए। फिर बसपा में शामिल हो गए। बसपा की टिकट पर साल 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता। बतौर सांसद जौनपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। धनंजय सिंह की जौनपुर संसदीय क्षेत्र में ठाकुर वोट बैंक पर अच्छी पकड़ है।