नई दिल्ली – Pitru Paksha 2023 : पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू होकर पितृमोक्षम अमावस्या तक चलते हैं। 29 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है, जो कि 14 अक्टूबर को खत्म होगा। इन 16 दिनों में पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि किया जाता है। पितरों को जल, अन्न, भोजन आदि की प्राप्ति होती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि पितृ पक्ष में गाय के अलावा कौवे का भी खास महत्व है और श्राद्ध के बाद कौवे को भोजन कराना जरूरी माना गया है। तो चलिए जानते हैं-
क्यों कराया जाता है कौवों को भोजन ?
मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में गायों को भोजन कराया जाता है। कहा जाता है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। लेकिन आपको बता दें कि गाय के अलावा पिंड दान करने के बाद कौवों को प्रसाद चढ़ाया जाता है। कहते हें कि कौवे को भोजन कराने के बाद श्राद्ध कर्म पूरा होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में पितर कौवे के रुप में धरती पर आते हैं। कौवों को मृत्यु के देवता यमराज का दूत माना जाता है।
कौवों से जुड़ी है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, इन्द्र के पुत्र जयन्त ने कौवे का रूप धारण किया था। ऐसा कर उन्होंने माता सीता के पैर में चोंच मारा था। तब भगवान श्रीराम ने बाण चलाकर जयंत की आंख फोड़ दी थी। जिसके बाद इन्द्र के पुत्र जयन्त ने क्षमा मांगी, तब श्री राम जी ने यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया भोजन पितरों को मिलेगा। तभी से श्राद्ध में कौवों को भोजन कराने की परंपरा चली आ रही है।
पितृ पक्ष में कौवों के साथ ऐसा ना करें
कौवों के साथ कई बार लोग गलत व्यवहार करते हैं, उन्हें छत से भगा देते हैं, उन पर चीजें फेकते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। खासतौर पर पितृ पक्ष में कौवों के साथ गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए। इन्हें न तो मारा जाता है और न हीं किसी भी रूप से सताया जाता है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे पितरों के श्राप के साथ- साथ अन्य देवी देवताओं के क्रोध का भी सामना करना पड़ता है और जीवन में सुख और शांति प्राप्ति नहीं होती।
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