नई दिल्ली – Data Protection Bill : डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के कानून बनने के लगभग एक महीने बाद भारत सरकार नए नियमों की रूपरेखा पर चर्चा शुरू करेगी, जो इसके ऑपरेशन के लिए जरूरी हैं। आईटी मंत्रालय के अधिकारी ने आज यानी 20 सितंबर को मेटा गूगल, एप और अमेजन जैसी टॉप टेक कंपनियों के प्रतिनिधियों से मिले और कई जरूरी मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसमें नए कानून के अनुपालन की समयसीमा, खास नियमों की रूपरेखा और क्या सभी संस्थाओं को समान समय दिया जाएगा और कानून का पालन करना शामिल है।
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 भले ही कानून के रूप में मान्यता मिल गई है, लेकिन अधिनियम को संचालित करने के लिए कम से कम 25 नियम तैयार करने होंगे। बता दें कि सरकार को इसके किसी भी प्रावधान के लिए नियम बनाने का अधिकार भी दिया गया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस बात की सूचना भी दी है कि ज्यादातर नियम पहले से ही तैयार हैं।
आईटी राज्य मंत्री ने कही ये बात
- इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने पहले मीडिया को पहले ही बताया था कि सरकार अलग-अलग संस्थाओं के लिए डेटा संरक्षण अधिनियम को लागू करने के तरीके में एक ग्रेडेड अपरोच रखेगी।
- सरकार पहले बड़ी तकनीकी कंपनियों के लिए कानून लागू करेगी और अपनी एजेंसियों और डिपार्टमेंट, छोटी संस्थाओं और स्टार्ट-अप के लिए एक लंबी ट्रांजिशन टाइमलाइन की पेश करेगी। आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस मीटिंग की अगुवाई की है।
देना होगा भारी जुर्माना
- इस कानून में कंपनियों को सहमति-आधारित सिस्टम के माध्यम से यूजर्स के व्यक्तिगत डेटा को इकट्ठा करने की जरूरत होती है।मगर कंपनियों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि इनका सही इस्तेमाल किया जाए।
- अगर कंपनिया डेटा उल्लंघन को रोकने में नाकाम रहती है या सही सुरक्षा उपाय नहीं कर पा रहे है तो उनको 250 करोड़ रुपये तक जुर्माना देना पड़ सकता है।
30 दिनों में शुरू होगा डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड
चंद्रशेखर ने कहा, ‘हम अगले 5-6 दिन में अनुपालन के लिए ज्यादातर नियम लागू करना शुरू कर देंगे। अधिकांश नियम 30 दिन के भीतर लागू कर दिए जाएंगे। डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड भी 30 दिन में अस्तित्व में आ जाएगा।’ इंडस्ट्रीज संग इस चर्चा में मेटा, लेनोवो, डेल, नेटफ्लिक्स समेत विभिन्न कंपनियों के 125 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए।
क्या है डेटा प्रोटेक्शन एक्ट?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘निजता के अधिकार’ (Right to Privacy) को मौलिक अधिकार घोषित करने के 6 साल बाद डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 आया है। इसमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स द्वारा व्यक्तियों के डेटा या ब्योरे का दुरुपयोग रोकने के प्रावधान हैं।
ये एक्ट कहता है कि नागरिकों से एकत्र किए गए डेटा का इस्तेमाल, कानूनन केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए जिसके लिए ये डेटा मंगाया गया हो। किसी भी तरह की शिकायत के मामले में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड से संपर्क किया जा सकता है। बोर्ड अधिनियम के मानदंडों के अनुसार शिकायत पर कार्रवाई करेगा।
इस एक्ट में व्यक्तियों के डिजिटल डेटा का दुरुपयोग करने या उसकी सुरक्षा करने में फेल होने यानी डेटा लीक जैसी परिस्थिति में कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।